कई दिनों के बाद कल जनता का इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा और उन्हें उनका CM मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब कुछ ही घंटे का समय बचा है। इससे पहले सोमवार(7 मार्च) को आए लगभग सभी Exit Polls में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत की भविष्यवाणी की गई है। यदि ईवीएम से निकले आंकड़े भी इसके करीब आते हैं तो यूपी में लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ की सरकार होगी। अगर ऐसा होता है तो Noida वाला अंधविश्वास भी हमेशा के लिए ध्वस्त हो जाएगा।
जानें, कब से है Noida का यह अंधविश्वास
इस अंधविश्वास की शुरुआत 1988 में हुई थी। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे वीर बहादुर सिंह। उन्हें पार्टी ने पद छोड़ने के लिए कहा था। संयोग से वह Noida से ही लौटे थे। ऐसे में यह चर्चा होने लगी कि Noida जाना अपशकुन साबित हुआ। माना जाता है कि एनडी तिवारी, कल्याण सिंह के अलावा मुलायम सिंह जैसे नेताओं की भी Noida यात्रा के बाद सरकार चली गई थी।
यूपी की राजनीति में Noida को लेकर पिछले कुछ दशकों में एक अंधविश्वास पनप चुका है। कहा जाता है कि जो मुख्यमंत्री Noida आता है उसकी दोबारा सरकार नहीं बनती है। इसी अंधविश्वास का नतीजा है कि 2012 में Noida से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री बने तो पूरे कार्यकाल में एक बार फिर Noida नहीं आए। Noida के कार्यक्रमों में वह वर्चुअली ही शामिल हुए थे। हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को सिरे से खारिज कर दिया।
अपने कार्यकाल में Yogi कई बार Noida आए। उनसे जब भी इस विश्वास को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने दावा किया कि इस अंधविश्वास को यह खत्म कर देंगे। हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर कहा था कि कोई भी शाश्वत नहीं है। जो यहां जन्मा है, उसे मरना है। इसी तरह कुर्सी भी स्थायी नहीं है। हम अंधविश्वास के नाम पर शासन नहीं करना चाहते हैं बल्कि सत्य दिखाकर और काम करके रहना चाहते हैं।
Noida के अंधविश्वास का खौफ इतना अधिक रहा है कि अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी Noida नहीं आए। उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, एनडी तिवारी और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी प्रदेश के प्रमुख शहर Noida जाने से परहेज किया। 2007 से 12 के बीच मायावती ने इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया और दो बार Noida गईं। लेकिन 2012 में उनकी सरकार गिर जाने के बाद Noida अंधविश्वास एक बार फिर चर्चा में आ गया और अखिलेश कभी Noida की तरफ कदम नहीं बढ़ा पाए। हालांकि, इसके बावजूद भी 2017 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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