देश दुनिया चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले लेकिन कुदरत के निज़ाम को नहीं बदल सकते। एक तरफ सभी नेता देश में क्या क्या नया इजात हो गया उसका बखान करने में लगे हैं लेकिन क्या चीज़ नहीं मिल रही है इस बात का ज़िक्र कोई नहीं करता। United Nations ने कहा है कि दुनिया भर में तीन में से एक बच्चे को School में पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य और सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है।
संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को ने एक नई रिपोर्ट में कहा, विश्व स्तर पर तीन स्कूलों में से लगभग एक School के पास पीने के पानी का बेहतर स्रोत नहीं है एजेंसी ने पाया कि दुनिया भर में तीन में से एक School में बुनियादी स्वच्छता नहीं है, अर्थात शौचालय और सीवेज सिस्टम, जबकि लगभग आधे स्कूलों में पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है।
स्कूल स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ एमिली सिदानेर ने कहा कि पीने का साफ पानी और हाथ धोने की सुविधाएं बच्चों को Covid-19 जैसी बीमारियों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल के बिना स्कूली छात्रों के लिए भोजन नहीं बना सकते हैं, जिससे बाल कुपोषण में योगदान होता है, उन्होंने कहा कि बहते पानी और साबुन की कमी भी उन लड़कियों के लिए एक बड़ी चुनौती है जो माहवारी के दौरान School नहीं जा सकती हैं। सोचकर देखिए बड़े बड़े दावे करने वाले नेता लोग इन मामूली सी समस्याओं का कोई हल नहीं निकालते हैं।
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