तपती गर्मी मे सबको Baarish याद आती है। Baarish जहां राहत देती है वहीं ये आपको और आपके घर को मुसीबत मे भी डाल देती है। Baarish से अक्सर बीमारी घर में भी पनप जाती हैं। इसके लिए Baarish से पहले ही अपने आशियाने को डिजीज फ्री बनाएं।
एक तरफ गर्मी के बाद मानसून देखकर लोग राहत महसूस करते हैं वहीं Baarish से होने वाले नुकसान और बीमारियों से लोग परेशान हो जातें है। आपकी छोटी छोटी लापरवाही आपके लिए मुसीबत बन सकती है इसलिए आज हम आपको Baarish से होने वाले नुकसान के बारें में बताने जा रहे हैं जिससे आप खुद को और अपने घर को रख सकते हैं Baarish से मेह्फूस।
वक्त-बेवक्त आती Baarish तन-मन को शीतल कर देती है, लेकिन घर की दीवारों में गहरी पैठ जमा लेती है। आमतौर पर इस सीलन को नजर अंदाज किया जाता है। बता दें यही सीलन सांस संबंधी गंभीर रोगों को जन्म दे सकती है। सिर्फ Baarish में भीगने से ही बीमारियां नहीं होतीं हैं। बल्कि ये बीमारियां आपको घर में ही होती है। इसलिए आप अपने घर को सुरक्षित रखें।
हो रहा है पानी का रिसाव तो ऐसे करें बचाव :
वक़्त रहते घर में वाटरप्रूफिंग का इस्तेमाल किया जाए तो अनेक मुश्किलों से बचा जा सकता है। घर का निर्माण शुरू करते वक़्त लोगों के सामने समस्या यही आती है कि सही तरीके से वाटरप्रूफिंग कैसे की जाए। घर में वाटरपू्रफिंग बेहद जरूरी है। किसी भी निर्माण सतह पर पानी का प्रवेश क्षय और दरार की वजह बनता है, जो लंबे वक़्त तक संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकता है। इसी प्रकार, दीवारों पर नमी मोल्ड वृद्धि में योगदान देती है, यह उन कारणों में से एक है जो अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को जन्म देती हैं। इसलिए भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए घर में वाटरपू्रफिंग करना बेहद ज़रूरी है।
इन जगहों पर करें वाटरप्रूफिंग :
कई बार नए घरों में बेसिक वाटरप्रूफिंग की जाती है, लेकिन यह सिर्फ छतों तक सीमित होती है। घर को ‘ए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होम’ बनाने के लिए जरूरी है कि घर के उन सभी हिस्सों में वाटरप्रूफिंग कराई जाए, जहां से पानी के घुसने की आशंका हो। ‘ए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होम’ का अर्थ है कि सिर्फ छत पर ही वाटरप्रूफिंग नहीं हो, बल्कि अंदरूनी गीले हिस्सों जैसे बाथरूम, किचन और बॉलकनी, बाहरी दीवारों, कंक्रीट वाटर टैंक और तल के निचले हिस्से में भी वाटरप्रूफिंग कराई जाए।
नोट : ध्यान रहे घर पूरी तरह से सुरक्षित तभी होगा जब सभी पांच संभव जल प्रवेश क्षेत्रों में ठीक से वाटरप्रूफिंग कराई जाए। यानी जमीन के नीचे, आंतरिक गीले क्षेत्र (स्नानघर, रसोई और बालकनी), छत, कंक्रीट वाटर टैंक और बाहरी दीवारें।
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