आज नाग पंचमी(Nag Panchami)है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इसलिए इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग का शमन होता है। ऐसे में आज नागों को दूध पिलाने की भी मान्यता है। सभी भक्त सुबह से ही मंदिरों में अपनी बारी का इंतज़ार करते नज़र आए।
पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां पृथ्वी, समुद्र, नदियों, पेड़-पौधों, ग्रहो और देवताओं आदि की पूजा तो होती ही है लेकिन आदिकाल से पशु पक्षियों के संरक्षण, पर्यावरण और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से उनकी पूजा भी की जाती है। इसके लिए लगभग हर पशु-पक्षी को किसी ना किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है ताकि देवों के साथ साथ उनकी भी रक्षा होती रहे। बता दें कि हर साल ये पर्व सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। Nag Panchami के दिन सांपों (नाग देवताओं) के पूजन का विधान है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं। सांप के डर और सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए Nag Panchami के दिन कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है। इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।
जानें, Nag Panchami के महत्व
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है इसीलिए Nag Panchami के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
- ऐसी भी मान्यता है कि Nag Panchami के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता है
- ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है
- इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
- यह त्यौहार सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं।
Nag Panchami का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। पौराणिक काल से ही नागों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है इसीलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण ये माना जाता है कि Nag Panchami के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करना चाहिए।
जानें, Nag Panchami से जुड़ी कथाएं और मान्यताएं
हिंदू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थीं। मान्यता ये है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, लेकिन उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थीं जिनका ताल्लुक नाग वंश से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया।
पुराणों के मतानुसार सर्पों के दो प्रकार बताए गए हैं- दिव्य और भौम, दिव्य सर्प वासुकि और तक्षक आदि हैं। इन्हें पृथ्वी का बोझ उठाने वाला और प्रज्ज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी बताया गया है। वो अगर कुपित हो जाएं तो फुफकार और दृष्टिमात्र से सम्पूर्ण जगत को नष्ट कर सकते हैं। इनके डसने की भी कोई दवा नहीं बताई गई है। लेकिन जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं जिनकी दाढ़ों में विष होता है और जो मनुष्य को काटते हैं उनकी संख्या अस्सी बताई गई है।
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