आज देश भर में Bakra Eid का त्यौहार मनाया जा रहा है। Bakra Eid के दिन को क़ुर्बानी के दिन के रूप में भी याद किया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार Bakra Eid रमज़ान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में Bakra Eid के दिन आमतौर पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन बकरे को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं। इस धार्मिक प्रक्रिया को फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है।
पिछले साल की तरह इस साल भी पूरे देश में Bakra Eid का पर्व मनाया जा रहा है। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज़ सुबह 6 बजे से लेकर 10:30 बजे तक अदा करने की तैयारी है। Corona संक्रमण की वजह से पिछले साल लोगों को घर ही नमाज़ अदा करनी पड़ी थी, लेकिन इस बार कुछ लोगों को ईदगाहों और मस्जिदों में जमात के साथ नमाज़ अदा करने की अनुमति मिली है।
जानें, इस दिन का महत्त्व
दुनियाभर के मुसलमान ईद की तरह कुर्बानी पर भी गरीबों का खास ख्याल रखते हैं। कुर्बानी के सामान का तीन हिस्सा बांटकर एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है। दो हिस्सों में एक खुद के लिए और दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है। मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई। अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा। इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हो गए थे, लेकिन अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया। उसके बजाए, उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा। इस तरह, पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की तरफ से ली गई परीक्षा में सच्चे साबित हुए। यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों पैगंबर इब्राहिम, इस्माइल को अपना अवतार मानते हैं।
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