ब्रिज हादसे पर बोले Tejashwi Yadav – ‘पहले से ही आशंका थी, पुल का डिजाइन नहीं था सही’

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एक ब्रिज के ज़रिए एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने में सहूलियत होती है। नदी के ऊपर अगर ब्रिज बना दिया जाए तो इससे कम वक़्त में ही लोग आसानी से दूसरी तरफ पहुंच जाते हैं। वहीं नदी के ऊपर ब्रिज बनाना कोई आसान काम नहीं होता है। ज़रा सी लापरवाही पूरे ब्रिज को सेकेंड में मलबे में बदल देती है। कुछ ऐसा ही रविवार(4 जून) को बिहार में देखने को मिला। बिहार के उपमुख्यमंत्री Tejashwi Yadav ने खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच निर्माणाधीन पुल के स्ट्रक्चर गिरने पर कहा है कि हमलोगों की जो आशंका थी, वह सही साबित हुई।

Tejashwi Yadav ने रविवार रात 9 बजे अपने सरकारी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 30 अप्रैल, 2022 को आंधी आने के कारण इस पुल के पाया पांच का सेगमेंट गिरा था। इसको लेकर आईआईटी रुड़की, आईआईटी मुंबई और एनआईटी पटना ने जांच की थी। जांच के बाद इस पुल की डिजाइन पर सवाल उठा था। पाया पांच के सभी सेगमेंट को तोड़वा दिया गया था। इसके बाद सरकार सभी पायों और इसकी डिजाइन की जांच आईआईटी रुड़की से करा रही थी। इसी बीच रविवार को यह घटना हुई।

Tejashwi Yadav ने कहा कि इस पुल को लेकर विधानसभा में दो बार, एक मार्च और 13 मार्च 2023 को सवाल आया था। उस समय हमने इस पर जवाब दिया था। हमलोग शंका में थे, इस पुल की डिजाइन आदि की पूरी जांच कराने के बाद ही आगे कदम उठाने का निर्णय हमलोगों ने लिया था। नवंबर, 2022 में समीक्षा बैठक में हमने निर्देश दिया था कि इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब पहली बार 30 अप्रैल, 2022 को इसका पाया गिरा था, तब हम नेता प्रतिपक्ष थे ओर इसको लेकर हमने सवाल उठाए थे। जो भी स्ट्रक्चरल तोड़वाया गया है, उसका जो नुकसान हुआ है, उसका बोझ सरकार पर नहीं आया है। यह संवेदक पर आया है। आगे भी जो नुकसान होगा वह पूरा संवेदक के ऊपर आएगा। इस घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।

पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि पहली घटना के बाद 30 अप्रैल को ही सीएम ने समीक्षा की थी। तभी से इस पर हमलोग फोकस किये थे कि कुछ-न-कुछ डिजाइन में त्रुटि है। डिजाइन की जांच चल रही थी। इस पर सप्ताहभर में पूरी जांच रिपोर्ट मिलनी थी। प्रत्यय अमृत ने कहा कि नये सिरे से पूरे पुल का डिजाइन करेंगे। नये सिरे से निविदा जारी करेंगे। नया डीपीआर बनाकर तीन महीने में कार्य प्रारंभ करेंगे। इस कार्य के लिए संवेदक के विरुद्ध सख्त-से-सख्त कार्रवाई होगी। उन्हें ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है।

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