सरकार स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे मील मुहैया कराती है। ऐसे में बच्चों को पूरी तरह सही भोजन मिल भी पा रहा है या नहीं ये बात पूछने वाला कोई नहीं है। ऐसे में Supreme Court ने मंगलवार (9 मई) को लक्षद्वीप प्रशासन से उस याचिका पर जवाब मांगा,जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में मिड-डे मील योजना से चिकन और मटन को हटाने को चुनौती दी गई है।
इससे पहले द्वीपीय प्रदेश में स्कूलों में मिड-डे मील के तहत चिकन और मटन दिया जाता था लेकिन लक्षद्वीप प्रशासन ने उसे बंद कर दिया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने एक स्पेशल लीव पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केरल हाई कोर्ट के सितंबर 2021 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के मिड-डे मील से चिकन और मीट को बाहर करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
खंडपीठ ने कहा, आप बच्चों को इससे क्यों वंचित कर रहे हैं…?”, खंडपीठ अभी सवाल पूछ ही रही थी, तभी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने त्वरित उत्तर दिया कि बच्चों को उससे बेहतर चीजें दी गई हैं। इस पर खंडपीठ ने तुरंत पूछा, “क्या बेहतर है? क्या चिकन और मटन की जगह उन्हें ड्राई फ्रूट्स दिए जा रहे हैं?” इसके बाद एएसजी ने बेंच के सामने नई मिड-डे मील योजना पेश की। उसे देखते हुए फिर पीठ ने पूछा, “चिकन कहाँ है? मान लीजिए कि यह मेरे आहार या सांस्कृतिक आदत का हिस्सा है,तो इसे कैसे उससे अलग किया जा सकता है?” अब लक्षद्वीप प्रशासन को Supreme Court में जवाब सौंपना है।
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