Manipur में हालात अब भी ख़राब, हिंसा पर विराम लगाने के लिए इंटरनेट बैन

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अपने अपने घरों में हम लोग चैन से रह रहे हैं, आराम से नौकरी करते हैं और रात को सुकून से सो जाते हैं। ज़रा उनका हाल पूछिए जिन्हें घर से निकलते हुए ये पता न हो कि वापिस ज़िंदा भी घर आएंगे या नहीं। कुछ इस तरह के हालत इस वक़्त Manipur (मणिपुर) में देखने को मिल रहा है। तमाम प्रयासों के बाद भी Manipur में अभी पूरी तरह से हिंसा पर विराम नहीं लगा है। बीते दिनों गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के वक्त भी कई जगहों पर हिंसा हुई थी। राज्य में अब भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।

5 और 6 जून की दरम्यानी रात को भी सेरोऊ सुगनू इलाके में हिंसा हुई। गोलीबारी के दौरान असम राइफल्स का एक जवान शहीद हो गया। Indian Army ने एक बयान जारी करके कहा, सुरक्षाबलों ने उग्रवादियों की फायरिंग का माकूल जवाब दिया। बाद में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। घायल असम राइफल के जवान को एयरलिफ्ट करके मंत्रीपुरखी पहुंचाया गया। अस्पताल में जवान को मृत घोषित कर दिया गया। इस इलाके में असम राइफल्स, बीएसएफ और पुलिस तैनात थी।

बताया गया कि रातभर रुक-रुककर गोलीबारी चलती रही। राज्य में हालात काबू करने और हिंसा पर विराम लगाने के लिए इंटरनेट बैन को 10 जून तक बढ़ा दिया गया है। राज्य में इस समय करीब 10 हजार सेना और असम राइफल्स के जवान तैनात हैं। अपने दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कुकी और मैतेई दोनों ही समुदाय से शांति बहाल करने में मदद करने की अपील की थी। बता दें कि मणिपुर में 3 मई के बाद से ही हिंसा जारी है।

Manipur में हिंसा की वजह

मैतेई और कुकी समुदाय के बीच संघर्ष की वजह से हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ गया। दरअसल मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ कुकी लोग प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद ही हिंसा शुरू हुई। मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने के प्रक्रिया के लिए निर्देश दिए थे।

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