Sharad Yadav Died: 75 साल की उम्र में जनता दल यू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री का निधन

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एक तरफ कड़ाके की ठंड से लोगों की जान जा रही है वहीं बुज़ुर्ग भी बेवजह घर से निकलने से बच रहे हैं। कल का दिन जनता दल यू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री Sharad Yadav के लिए आख़िरी दिन होगा ये बात उनके परिवार वालों ने नहीं सोची होगी। 75 साल की उम्र में गुरुवार (12 जनवरी) देर रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में Sharad Yadav का निधन हो गया। उन्हें Delhi में उनके छतरपुर स्थित आवास पर बेहोश होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था।

Sharad Yadav के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा हैं। Sharad Yadav के दामाद राजकमल राव ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। Sharad Yadav का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था और वह जबलपुर से पहली बार सांसद बने थे। Sharad Yadav एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे।

Sharad Yadav काफी समय तक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता रहे। कहा जाता है कि यादव 2013 में भाजपा के साथ संबंध तोड़ने के जदयू फैसले के प्रति आशंकित थे। चार साल बाद 2017 में भाजपा के साथ फिर से जुड़ने के नीतीश कुमार के फैसले के कारण यादव ने विद्रोह कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

Sharad Yadav 1989 में वीपी सिंह की सरकार में मंत्री थे। उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य किया। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव को एक समय उनका समर्थन प्राप्त था। उल्लेखनीय है कि शरद यादव ने बिहार के मधेपुरा से राजद के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह चार बार इस सीट से चुनाव जीत चुके थे। एक साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी सुभाषिनी यादव बिहारगंज से राजद की उम्मीदवार थीं।

Sharad Yadav उन प्रमुख समाजवादी नेताओं में से थे जिन्होंने देश की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी। बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा 2013 में भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला करने के पहले वह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी गठित की लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे। उन्होंने 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था।

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