सैनिटाइजर हाथ से पहले करेगा जनता की जेब साफ
कोरोना वायरस से बचने के लिए शुरू से ही सैनिटाइजर से हाथ साफ करने पर ज़ोर दिया गया। अब केंद्र सरकार उसी सैनिटाइजर पर 18 फीसदी GST लगाने जा रही है। जिससे आम आदमी को सैनिटाइजर खरीदने के लिए अपनी जेब से थोड़े ज़्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
कोरोना के कहर से बचना है तो हाथ की सफाई बेहद ज़रूरी है वो भी साधारण साबुन से नहीं बल्कि सैनिटाइजर से। अब यही सैनिटाइजर आपके हाथ से पहले आपकी जेब साफ करेगा। बता दें कि सरकार ने बुधवार (15 जुलाई) को कहा कि सैनिटाइजर भी साबुन, डेटॉल समेत अन्य के समान कीटाणुनाशक है जिस पर GST व्यवस्था के तहत 18 प्रतिशत शुल्क लगता है।
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वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘हैंड सैनिटाइजर’ के विनिर्माण में उपयोग होने वाले विभिन्न रसायन, पैकिंग सामग्री और कच्चा माल सेवा समेत अन्य पर भी 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (GST) लगता है।
मंत्रालय ने कहा कि सैनिटाइजर और उसी तरह के दूसरे सामानों पर जीएसटी दर कम करने से उल्टा शुल्क ढांचा तैयार होगा, यानी कच्चे माल पर तैयार उत्पाद के मुकाबले अधिक शुल्क। इससे हैंड सैनिटाइजर बनाने वाले घरेलू विनिर्माताओं के साथ-साथ अयातकों को नुकसान होगा। वित्त मंत्रालय ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जीएसटी दर कम करने से सैनिटाइजर का आयात सस्ता हो जाएगा। अगर तैयार माल के मुकाबले GST कच्चे माल पर अधिक कर लिया जाएगा तो इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा।
बयान के मुताबिक GST दर में कमी से आयात सस्ता होगा। यह देश की आत्मनिर्भर भारत की नीति के खिलाफ होगा। उल्टे शुल्क ढांचे से अगर विनिर्माताओं को नुकसान होता है, ग्राहकों को भी आखिर में इसका लाभ नहीं होगा। एडवांस रूलिंग प्राधिकरण की गोवा पीठ ने हाल ही में व्यवस्था दी कि अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर पर जीएसटी के तहत 18 फीसदी शुल्क लगेगा। हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हैंड सैनिटाइजर को अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में रखा है, लेकिन जीएसटी कानून के तहत छूट वाले सामान की अलग सूची है।
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