मॉर्डर्न ज़माना है, घर से ज़्यादा बाहर का खाना लोगों को पसंद आने लगा है। शहरों में महिला हो या पुरुष ज़्यादातर सभी नौकरी कर रहे हैं ऐसे में शाम को घर आकर फिर से खाना बनाओ। इस काम से निजात पाने के लिए लोग होटल का रुख कर लेते हैं। Fast Food की अगर बात करें फिर तो कहना ही क्या। बच्चे हों या बूढ़े सभी को Fast Food का टेस्ट ख़ूब भाता है। हाल ही में लंदन में हुए एक अध्ययन की मानें, तो Fast Food के अधिक सेवन के कारण लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो रही है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि लोग पीड़ित हैं, क्योंकि Fast Food के कारण उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली एक स्वस्थ कोशिका और शरीर पर आक्रमण करने वाले वायरस जैसे जीव के बीच अंतर नहीं बता सकती है। बर्गर और चिकन नगेट्स सहित भारी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से दुनियाभर में ऑटोइम्यून बीमारियों में इज़ाफ़ा हो रहा है। दरअसल, Fast Food के कारण लोगों का इम्यून सिस्टम भ्रमित हो रहा है।
लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता इस कारण का अध्ययन कर रहे हैं। फिलहाल उन्हें उम्मीद है कि Fast Food आहार में फाइबर जैसे अवयवों की कमी के कारण ऐसा होता है, जो किसी व्यक्ति के माइक्रोबायोम को प्रभावित करता है। माइक्रोबायोम हमारे पेट में मौजूद सूक्ष्म जीवों का संग्रह है, जो विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टाइप 1 मधुमेह, गठिया, आंतों की सूजन का रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस सहित ऑटोइम्यून रोग शरीर द्वारा अपने खुद के ऊतकों और अंगों पर हमला करने के कारण होते हैं। बता दें कि ब्रिटेन में ऑटोइम्यून बीमारी वाले करीब 40 लाख लोग हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामले प्रति वर्ष 3 से 9 प्रतिशत के बीच बढ़ रहे हैं।
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