जिस ‘Police Commissioner System’ को लेकर दावे किये जा रहे थे कि इसके लागू होते ही देश में अपराध कम हो जाएगा वहीं इस ये दावा अब गलत साबित होता हुआ नज़र आ रहा है। मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में Police Commissioner System लागू हुए एक साल पूरा हो गया है, लेकिन सरकार ने Police Commissioner System को सशक्त नहीं बनाया। बल्कि कई अधिकार अभी भी जिला प्रशासन के पास हैं। नतीजा ये हुआ कि भोपाल में बीते एक साल में हुए अपराधों की तुलना की जाए तो Police Commissioner System में अपराध बढ़े हैं।
Police Commissioner के अलावा इस सिस्टम में अफसरों की भरमार है, भोपाल की बात करें तो यहां 34 थानों में Police Commissioner System लागू है। इस सिस्टम में अफसरों की बात करें तो पुलिस कमिश्नर के अलावा दो एडिशनल पुलिस कमिश्नर के पद हैं, हालांकि एक एडिशनल पुलिस कमिश्नर का पद खाली है। शहर में आठ डीसीपी (DCP) यानि SP हैं, एडीशनल एसपी (SP) लेवल के 12 अफसरों की पोस्टिंग एडिशनल डीसीपी (DCP) के रूप में हुई है। सीएसपी (CSP) लेवल के 29 सहायक पुलिस आयुक्त हैं।
सरकार ने Police Commissioner System को पुलिस एक्ट, प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में 107-116 सहित रासुका, धारा 144 और 133, मोटरयान अधिनियम, प्रिजनर एक्ट, विष अधिनियम,अनैतिक व्यापार अधिनियम, बंदी अधिनियम, शासकीय गोपनीय अधिनियम,विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम जैसे कानून के अधिकार दिए थे, लेकिन आज भी सरकार ने Police Commissioner System को आर्म्स एक्ट, आबकारी एक्ट के पावर नहीं दिए। पुलिस के कई अधिकार अभी भी जिला प्रशासन के पास हैं। हालांकि इंदौर में Police Commissioner System के एक साल पूरा होने पर इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा है कि इंदौर में Police Commissioner System लागू होने के बाद अपराधों में कमी आई है।
भोपाल में Police Commissioner System लागू होने के बाद अपराध कम नहीं हुए हैं। अफसरों की लंबी फौज होने के बाद भी अपराधों में कमी नहीं आयी है। 2019 की तुलना में 2022 में दर्ज अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। शहर में नशे का चलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते अपराधों के आंकड़ों को देखा जाए तो 30 नवंबर तक 405 रेप के केस दर्ज हुए, 195 केस में परिचित लोगों पर Fir दर्ज हुई। 198 केस में शादी का झांसा देकर रेप होने के मामले सामने आए हैं।
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