कोई भी क्राइम होगा तो गुनेहगार भी होगा और फिर गुनेहगार को सज़ा भी दी जाएगी। Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test (UP TET) पेपर लीक केस में CM Yogi Adityanath के निर्देश पर UP पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने इस मामले में अब सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) संजय कुमार उपाध्याय को गिरफ़्तार कर लिया है।
इसके पहले एसटीएफ ने प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी आर.एस.एम. फिनसर्व लिमिटेड के निदेशक राय अनूप प्रसाद को Delhi से गिरफ़्तार किया था। इस एजेंसी को प्रश्न पत्र छापने का वर्क आर्डर संजय उपाध्याय ने जारी किया था।
UP TET Exam रद्द होने का गुस्सा छात्रों में साफ तौर पर देखा जा रहा है। 28 नवम्बर से ही Social Media Platform प्रतिक्रियाएं देते हुए लोग Yogi सरकार और अधिकारियों को घेर रहे हैं। विपक्ष ने भी इस मु्द्दे पर UP सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की है।
UP के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि देर रात पूछताछ के बाद जांच अधिकारी और UP STF की टीम ने उन्हें गिरफ़्तार किया है। संजय उपाध्याय को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस उन्हें रिमांड पर लेकर और पूछताछ करेगी। प्रशांत कुमार ने कहा कि इस मामले में शुरुआत में ही शासन की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि सख्त एक्शन लिया जाएगा। कोई भी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि संजय उपाध्याय के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं। इसी आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गई है।
बताया जा रहा है कि शासन ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पेपर लीक के लिए प्रथम दृष्टया दोषी माना है। सरकार पहले ही उन्हें सस्पेंड कर चुकी है। UP TET Exam को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ही थी। माना जा रहा है परीक्षा नियामक प्राधिकारी के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई और Delhi की गैर जिम्मेदार एजेंसी आर.एस.एम. फिनसर्व लिमिटेड को Paper Print कराने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। एजेंसी के निदेशक राय अनूप प्रसाद ने प्रश्न पत्र की छपाई के दौरान गोपनीयता और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की, जिसकी वजह से पेपर आउट हो गया और परीक्षा रद्द करनी पड़ गई।
सचिव परीक्षा नियामक को शुचितापूर्ण, नकलविहीन और शांतिपूर्ण ढंग से UP-TET न किए जाने का प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि 28 नवंबर को दो पालियों में प्रस्तावित UP-TET का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी। इससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। परीक्षा में 21 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को शामिल होना था।
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