भारत सरकार की कोशिशों के बावजूद अभी भी Ukraine में सैकड़ों भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। उनके परिजन परेशान हैं तो स्टूडेंट्स भी वहां से अपनी आप बीती का वीडियो बनाकर भेज रहे हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी Ukraine में फंसे एक स्टूडेंट के पिता से मिलने पहुंचे। लेकिन, वहां उन्हें अपने ही दिए एक बयान की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा।
एक दिन पहले ही नवीन के पिता शेखरगौड़ा ने भी भारतीय मेडिकल एजुकेशन सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा था कि मेरा बेटा बहुत टैलेंटेड था। उसके 97% मार्क्स आते थे। वह स्कूल में टॉपर रहा है। लेकिन, उसे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिला। इसके बाद मैंने पाया कि देश में 85 लाख से 1 करोड़ रु। खर्च करके आप कहीं भी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं। इतना खर्च करने की क्षमता नहीं थी। इसके बाद ही मैंने निर्णय लिया कि मैं अपने बेटे को Ukraine भेजूंगा तो थोड़ा सस्ता पड़ेगा। लेकिन ये बहुत ज्यादा महंगा पड़ गया। मेरा बेटा ही नहीं रहा।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का कहना है कि सरकार स्टूडेंट्स की जानकारी जुटा रही है। वे कोशिश कर रहे हैं कि Ukraine में फंसे छात्रों को जल्द से जल्द भारत लाया जा सके। इसके साथ ही वहां घायल-बीमार पड़े छात्रों की मदद की जा सके।
धारवाड़ से सांसद प्रह्लाद जोशी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 90% छात्र जो बाहर मेडिसिन की पढ़ाई करने जाते हैं, वे भारत में परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं। उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी। विपक्ष ने इसे जहां मुद्दा बना लिया है, वहीं अब मंत्री जब पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे तो वहां भी उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा।
अमित वैसर यूक्रेन में मेडिकल स्टूडेंट हैं। उनके पिता वैंकटेश वैसर ने मंत्री से कहा, न तो नवीन और न ही मेरा बेटा अमित फेल स्टूडेंट रहे। दोनों के ही SSLC और PU की परीक्षाओं में 90% से ज्यादा मार्क्स हैं। हम भारत में मेडिकल सीट अफॉर्ड नहीं कर सकते थे, इसलिए मजबूर होकर उन्हें Ukraine पढ़ने के लिए भेजा।
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