अब Gyanvapi Masjid के ‘शिवलिंग’ का होगा साइंटिफिक सर्वे, हाईकोर्ट ने दी हरी झंडी

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हिन्दू पक्ष के लिए आज का दिन राहत की ख़बर लेकर आया। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी Gyanvapi Masjid में मिले कथित शिवलिंग के मामले में हिन्दू पक्ष की बड़ी जीत हुई है। शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे को हरी झंडी दे दी है। अब एएसआई तय करेगा कि किस तरीके से बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए इसका सर्वे किया जा सकता है।

गुरुवार(11 मई) को ही एएसआई ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपी थी। इसमें बताया गया था कि बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए पांच तरीकों से इसका साइंटिफिक सर्वे किया जा सकता है।

जानें, पूरा मामला

पिछले साल ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की कोर्ट ने परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट से नियुक्त कमिश्रर के सर्वे के दौरान वजू खाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसे ही असली शिवलिंग और भगवान विश्वेश्वर बताया। जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। शिवलिंग जैसी आकृति होने के कारण इस इलाके को सील कर दिया गया था। वजूखाना भी बंद कर दिया गया है।

इसी के बाद हिंदू पक्ष की तरफ से कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग की गई थी। जिला जज की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इसकी इज़ाजत इस आधार पर नहीं दी कि शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। जिला जज के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब एएसआई 22 तारीख को जिला जज को बताएगी कि बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए भी जांच हो सकती है। इसी के बाद तय होगा कि कौन सी जांच की जाएगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को Gyanvapi Masjid परिसर में मिली शिवलिंग आकृति का वैज्ञानिक सर्वे कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने से इनकार करने के जिला जज वाराणसी के आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश दिया है कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर और बीएसआईपी लखनऊ द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग आकृति का वैज्ञानिक सर्वे कराया जाए।

जिला जज वाराणसी ने 14 अक्टूबर 2022 को लक्ष्मी देवी की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में 22 मई 2022 को मिली शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना कर निर्धारण करने की मांग की गई थी। जिला जज के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी।

हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि यह हमारी लड़ाई की जीत है। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कई तकनीक हैं, जिसमें बिना पार्टिकल लिए किसी भी चीज की पूरी प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रिजेक्ट कर दिया है। अब शिवलिंग की जांच हो सकेगी।

हाईकोर्ट ने एएसआई को कहा है कि आप 22 मई को वह जिला जज के सामने पेश होकर सर्वे के बारे में बताएंगे। विष्णु जैन ने कहा कि पहले कहा गया था कि साइंटिफिक सर्वे नहीं हो सकता। उसे अब रिजेक्ट कर दिया गया है। सर्वे से शिवलिंग के बारे में सभी जानकारी मिल जाएगी। शिवलिंग की आयु के साथ ही लंबाई चौड़ाई सभी की जानकारी मिल सकेगी।

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