इस वक़्त Chandrayaan-3 काफी चर्चा में बना हुआ है। सालों की मेहनत का हिसाब मिनटों में हो जाता है। पहले उड़ान और अब लैंडिंग पर सबकी नजरें टिकी हैं। पूरा देश Chandrayaan-3 को चांद पर स्थापित होते हुए देखने के लिए उत्सुक है। खास बात है कि यह प्रक्रिया सिर्फ आधे घंटे में ही पूरी हो जाएगी।
संभावनाएं जताई जा रही हैं कि अंतरिक्ष यान 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड कर सकता है। कहा जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अंतिम 15-20 मिनट काफी अहम होने वाले हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO के पूर्व वैज्ञानिक और पद्मश्री विजेता एम अन्नादुरई इसे मील का पत्थर मानते हैं।
अंतरिक्ष यान को सॉफ्ट लैंडिंग करने में 20 से 30 मिनट का लगेगा समय
एम अन्नादुरई ने कहा कि अगला अहम पड़ाल अंतिम 15-20 मिनट होंगे, जब लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तय जगह पर लैंडिंग करेगा। उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष यान को सॉफ्ट लैंडिंग करने में 20 से 30 मिनट का समय लगेगा। यह एक स्वायत्त गतिविधि होगी। ISRO के मिशन साइंटिस्ट इसे एक दिन पहले यानी 22 अगस्त को ही प्रोग्राम कर देंगे, लेकिन विक्रम की लैंडिंग स्वायत्त होगी।’
पूरी दुनिया इंतजार कर रही है कि विक्रम क्या करेगा
बातचीत में एम अन्नादुरई ने कहा था, ‘यह शुरुआत है और आगे की सभी चीजों को बहुत सावधानी से देखना होगा। हमने प्रक्षेपण यान और उसके बाद प्रणोदन प्रणाली (पृथक्करण) से प्रमुख मील के पत्थर को पार कर लिया है… अब वास्तव में मैच शुरू होता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये अंतिम ओवर हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह एक महान क्षण है। पूरी दुनिया यह देखने के लिए इंतजार कर रही है कि विक्रम क्या करेगा और प्रज्ञान बाहर आकर क्या करेगा… मैं भी उत्साहपूर्वक इंतजार कर रहा हूं।’
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने भी कहा था कि लैंडिंग का सबसे अहम हिस्सा लैंडर की वेलोसिटी को 30 किमी की ऊंचाई से फाइनल लैंडिंग तक लाना होगा। उन्होंने कहा, ‘यह एक दांव है, जिसे हमें खेलना होगा। हमने कई सिम्युलेशन्स किए हैं। यह वही पड़ाव है, जहां हमें पिछली बार परेशानी हुई थी।’
जानें, अब आगे क्या होगा
एम अन्नादुरई ने समझाया कि लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद सबसे बड़ा ईवेंट 18 अगस्त को होगा। इस दिन चार 800 न्यूटन थ्रस्टर्स विक्रम को लोअर ऑर्बिट में ले जाने का काम करेंगे। 23 अगस्त को शाम 5.47 पर चांद की सतह पर स्पेसक्राफ्ट को ले जाने के लिए अंतिम 30 किमी से अंतिम फायरिंग होगी। उन्होंने इस प्रक्रिया को काफी अहम बताया है।
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