हरी Bhindi तो आपने कई बार देखी और खाई होगी लेकिन Lal Bhindi के बारें में आज भी कम ही लोग जानते हैं। आम तौर पर हरी Bhindi ही हम सब के बीच लोकप्रिय है लेकिन अब Lal Bhindi, प्रगतिशील किसानों के बीच तेज़ी से स्थान बना रही है।
Lal Bhindi में 94 फीसद पॉली अनसेचुरेटेड फैट, जहां बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है वही 66 फीसद सोडियम उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने में मददगार है। 21 फीसद आयरन रक्ताल्पता (एनीमिया) से संबंधित रोगों में फायदा पहुंचाता है। प्रोटीन की 5 फीसद मात्रा शरीर के मेटाबोलिज्म सिस्टम को दुरुस्त रखने में मदद करती है।
नवंबर से दिसंबर और जनवरी तक Lal Bhindi की बोआई की जा सकती है। नवंबर में बोआई करने फरवरी से फल भी आने लगेंगे। सर्दियों में यानी दिसंबर और जनवरी में इसकी बढ़वार थोड़ी कम रहती है। प्रगतिशील किसान इंद्रपाल सिंह ने जानीपुर एवं प्रगतिशील किसान श्रद्धानंद त्रिपाठी उत्तम बाबा ने रानीडीहा में Lal Bhindi की खेती की है।
सब्जियों की कई प्रजातियों की खोज करने वाले आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह कहते कि लाल रंग के नाते इसमें एंथोसायनिन मिलता है। इस कारण इसकी पोषण क्षमता बढ़ जाती है। इसमें मौजूद क्रूड फाइबर शुगर नियंत्रित करता है। इसमें बी काम्पलेक्स भी होता है।
Lal Bhindi के बीच बनाने वाली यूपीएल उत्त्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के रीजनल मैनेजर कृष्ण कुमार सारस्वत कहते हैं कि आयरन और प्रोटीन से भरपूर कुमकुम बीपी, सुगर और बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है। बढ़ती आय के साथ लोग सेहत के प्रति जागरूक हुए हैं। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इसकी खेती के लिए आगे आए। इससे उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा।
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