परेशान हुए चीन यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहे भारतीय छात्र, केंद्र सरकार से कर डाली ये मांग

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डॉक्टर बनने का सपना न जाने कितने ही छात्र देखते हैं लेकिन डॉक्टर बनना अब छात्रों को महंगा पड़ता जा रहा है। चीनी विश्वविद्यालयों में MBBS की पढ़ाई कर रहे कई भारतीय छात्रों ने केरल सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। ये छात्र भारत में अपनी फिजिकल ट्रेनिंग को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं।

FMGPA (Foreign Medical Graduates Parents Association) के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया गया, जो कि विदेशों में मेडिकल छात्रों के माता-पिता का एक संघ है। Covid-19 महामारी फैलने के बाद ये मेडिकल छात्र भारत लौटने के लिए मजबूर हो गए, तब से अपने मेजबान देश लौट नहीं पाए हैं। इस दौरान इन्होंने राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में अपनी फिजिकल ट्रेनिंग जारी रखी। चीनी अधिकारियों से वीजा मुहैया नहीं कराए जाने के कारण देश में फंसे भारतीय छात्रों ने ऑनलाइन क्लास ली और अपना सिलेबस खत्म किया।

MBBS के छात्र अपने कर्ज चुकाने और शिक्षा पूरी करने के बारे में चिंतित है। छात्रों का कहना है कि उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल (CPGRAMS) के माध्यम से केंद्र सरकार को अपनी समस्याओं के बारे में बताया है। एक छात्र ने कहा, “हम अभी असहाय हैं। हमें सरकार से एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता है कि हम एक निश्चित अवधि के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं और हम कुछ विभागों के साथ काम कर रहे हैं।”

यंग्जहौ विश्वविद्यालय में चौथे साल के मेडिकल छात्र मुर्शिद एलेन ने कहा, “हमें जनवरी 2020 में चीन से वापस आने के लिए मजबूर किया गया था। हमें ऑनलाइन क्लास करते हुए दो साल हो गए हैं। हमें नहीं पता कि भारत सरकार हमें इन ऑनलाइन क्लास के साथ स्वीकार करेगी या नहीं। हममें से ज्यादातर केरल के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रैक्टिकल भी कर रहे हैं, लेकिन मान्यता प्राप्त नहीं है।”

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