अब चार बार MBBS में हुए फेल तो KGMU दिखाएगा बाहर का रास्ता

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कोई छात्र फेल नहीं होना चाहता लेकिन बावजूद इसके कई छात्र फेल होकर कई सालों तक एक ही क्लास में पड़े रहते हैं। ऐसे हालात देखते हुए KGMU(King George’s Medical University) अब लगातार चार साल फेल होने वाले MBBS छात्रों को बाहर का रास्ता दिखाएगा। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी है। यह जानकारी कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने शुक्रवार(12 अगस्त) को अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर दी।

कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने बताया कि KGMU में MBBS की 250 सीटें हैं। BDS की 70 सीटों पर दाखिले हो रहे हैं। KGMU में अभी ऐसे 37 छात्र हैं जो करीब 20 से 22 साल से MBBS पास नहीं कर पाए हैं। ज़्यादातर छात्रों की शादी हो गई है। उनके बच्चे भी स्कूल जा रहे हैं। वे अभी भी MBBS पास करने की जद्दोजहद में हैं। हमने ऐसे छात्रों को कई मौके दिए, रियायतें भी दीं। इसके बावजूद छात्र सफल नहीं हो रहे हैं। ऐसे छात्रों के अनुरोध पर KGMU ने समिति का गठन किया था। समिति ने इनको पास करने के लिए विशेष कक्षाएं चलाने के लिए कहा था। इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला। सारी जुगत फेल होने के बाद अब KGMU इन छात्रों के खिलाफ कठोर फैसला करने को मजबूर हैं।

गिनाई ये उपलब्धियां

  • KGMU ने टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के साथ करार किया। KGMU के पांच छात्र विदेश जा रहे हैं। इसके बाद फरवरी में टेक्सास के 10 छात्र KGMU आएंगे।
  • दंत संकाय के नए भवन में भी ओपीडी पर्चा बनेगा। अभी मरीजों को पुरानी डेंटल बिल्डिंग में पर्चा बनवाने जाना पड़ रहा है।
  • कई विभागों में पीजी की सीटें बढ़ी हैं। दंत संकाय के हर विभाग में अब दो-दो सीट बढ़ गई हैं। रेस्पीरेटरी मेडिसिन, फॉरेंसिक मेडिसिन, फॉर्माकोलॉजी विभागों में पीजी की सीट बढ़ी हैं। नए शैक्षिक सत्र से दाखिले होंगे।
  • KGMU में हॉस्पिटल आधारिक कैंसर मरीजों का पंजीकरण होगा। यहां प्रदेश भर से मरीज आ रहे हैं। मरीज पहले किस अस्पताल गया। इसकी जानकारी आसानी से हो सकेगी। इससे कैंसर मरीजों का सही आंकड़ा जुटाया जा सकेगा।
  • KGMU अन्य जनपदों में स्थित अस्पतालों से भी टेलीमेडिसिन से जुड़ जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि मरीज का पंजीकरण यहीं से हो जाएगा। मरीज की स्थिति गंभीर होने पर तुरंत KGMU भेजा जा सकेगा।
  • देश में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए KGMU को नोडल सेंटर बनाया गया है। मंकी पॉक्स की जांच, इलाज व बाकी अस्पतालों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी दी गई है।

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