नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर की याचिका को खारिज कर दिया। कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ के रूप में अपनी बर्खास्तगी और बोनस को अस्वीकार करने के खिलाफ दायर अर्जी को बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा अस्वीकार किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली एक पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को यह कहते हुए बरकरार रखा कि विवाद की प्रकृति संविदात्मक है और निजी भी।
मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, ‘माफ कीजिए, हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि, ‘यह मामला निजी बैंक और कर्मचारी के बीच का है।’पीठ चंदा कोचर की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा पांच मार्च को दिए आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंधक निदेशक और सीईओ पद से बर्खास्त करने के खिलाफ अर्जी खारिज कर दी थी और साथ ही रेखांकित किया था कि विवाद कार्मिक सेवा की संविदा से उत्पन्न हुआ है।
न्यायमूर्ति कौल ने कोचर की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से कहा, “हम विवाद में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। यह बैंक और कर्मचारी के बीच निजी अनुबंध के दायरे में आता है … हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”रोहतगी ने पीठ के समक्ष कहा कि कोचर की बर्खास्तगी अवैध है क्योंकि ऐसा आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना किया गया था।
क्या है पूरा मामला?
प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल की शुरुआत में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, धूत और अन्य के खिलाफ आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी देने के मामले में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के लिए पीएमएलए के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने सबूतों की तलाश के लिए एक मार्च को छापेमारी भी की थी।
सीबीआई ने वेणुगोपाल धूत की कंपनी सुप्रीम एनर्जी और दीपक कोचर की एक कंपनी का जिक्र एफआईआर में किया था। धूत ने कथित रूप से दीपक की कंपनी न्यूपावर रिन्यूवेबल्स लिमिटेड में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी के माध्यम से निवेश किया था जिसके बदले में चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक से ऋण को मंजूरी दिला दें।