Corona काल में न जाने कितने ही लोगों ने अपने करीबियों को खो दिया। अब सरकार उन लोगों को मुआवज़ा देने जा रही है जिनकी मौत Corona से हुई है। जिसके लिए सर्टिफिकेट होना ज़रूरी है जिससे ये पता चल सके कि मरने वाले की मौत सच में Corona से ही हुई है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने Corona से मौत पर मिलने वाले 50 हजार रुपए के मुआवज़े के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के मामलों पर चिंता जताई है। कोर्ट ने संकेत दिया कि वो इस मामले की जांच के लिए CAG को आदेश दे सकती है।इससे पहले 7 मार्च को न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मुआवज़े की मांग करने वाले दावों के लिए कुछ समय-सीमा होनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘चिंता की बात यह है कि चिकित्सकों की ओर से फर्जी प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर बात है। कृपया सुझाव दें कि हम चिकित्सकों द्वारा जारी किए जा रहे फर्जी प्रमाणपत्रों के मुद्दे पर कैसे अंकुश लगा सकते हैं। यह किसी का वास्तविक हक छीन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर को कहा था कि Corona से मृत किसी व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपए का मुआवजा देने से कोई भी सरकार केवल इस आधार पर मना नहीं करेगी कि मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण में वायरस का उल्लेख नहीं है। अदालत ने यह भी कहा था कि संबंधित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या जिला प्रशासन में Corona Virus के कारण मृत्यु के प्रमाणपत्र और कारण ‘Covid-19 की वजह से मृत्यु’ प्रमाणित किए जाने के साथ आवेदन करने की तारीख से 30 दिन के अंदर अनुग्रह राशि दी जानी होती है।
इसी साल जनवरी में SC ने Corona से मृत्यु के मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिए जाने को लेकर राज्य सरकारों पर अप्रसन्नता जताई थी। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए। पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से Corona से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से संपर्क करने और मुआवजा दावों का पंजीकरण व वितरण उसी तरह करने के लिए कहा, जैसा 2001 में गुजरात में आए भूकंप के दौरान किया गया था।
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