चुनाव से पहले सभी नेता बड़े बड़े वादे तो करते हैं लेकिन उन वादों की हक़ीकत कुछ वक़्त बाद ही सामने आती है। इस बार Morbi Cable Bridge हादसे ने जनता की सोच को बदल दिया है। जनता किसको वोट देगी ये अब बड़ा सवाल बनता जा रहा है। गुजरात की पाटीदार बहुल Morbi विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गढ़ माना जाता है, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार के चुनावी समीकरण कई कारणों से बदल सकते हैं, जिसमें हालिया पुल त्रासदी भी शामिल है। इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि चुनाव मैदान में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की दस्तक और लंबे समय से लंबित शहरी बुनियादी ढांचे के मुद्दे भी Morbi में निर्णायक कारकों में से एक हो सकते हैं, जहां पिछले तीन चुनावों में जीत का अंतर कम रहा है।
जडेजा शासकों की दूरदृष्टि की बदौलत तत्कालीन Morbi रियासत को स्वतंत्रता से पहले ‘सौराष्ट्र क्षेत्र का पेरिस’ कहा जाता था। आज, यह क्षेत्र सिरेमिक और घड़ी उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है, जो देशभर से आने वाले 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। हालांकि, स्थानीय लोगों का दावा है कि Morbi में आर्थिक विकास खराब सड़कों और यातायात जाम से प्रभावित हुआ है। बता दें कि वर्तमान में मोरबी नगर पालिका, जिला पंचायत और तालुका पंचायत में भाजपा का शासन है। Morbi विधानसभा सीट कच्छ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जिसका प्रतिनिधित्व दलित भाजपा सांसद विनोद चावड़ा करते हैं।
Morbi में लगभग 2.90 लाख मतदाता हैं, जिनमें 80,000 पाटीदार, 35,000 मुस्लिम, 30,000 दलित, 30,000 सथवारा समुदाय के सदस्य (अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से), 12,000 अहीर (ओबीसी) और 20,000 ठाकोर-कोली समुदाय के सदस्य (ओबीसी) शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषक और स्थानीय व्यवसायी के डी पदसुम्बिया के मुताबिक, ‘पाटीदार मतदाता कांग्रेस और भाजपा के बीच समान रूप से बंटे हैं, हालांकि सत्तारूढ़ दल को सथवारा, कोली और दलित समुदाय के अधिकांश सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि मुसलमान परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहे हैं, लेकिन ‘आप’ कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। इस बार करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोट ‘आप’ को मिलने की उम्मीद है।’
Morbi सिरेमिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के फ्लोर टाइल्स विभाग के अध्यक्ष के अनुसार, खराब सड़कें और यातायात जाम कई वर्षों से यहां के लोगों के लिए मुख्य समस्या बना हुआ है। ‘मोरबी 65,000 करोड़ के वार्षिक कारोबार के साथ एक प्रमुख सिरेमिक केंद्र है। भाजपा ने बहुत काम किया है, फिर भी हम शहर और उसके आसपास यातायात जाम, जल-जमाव और खराब सड़कों के मुद्दों का सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने दावा किया, ‘मोरबी के लोग कुछ नाखुश हैं, क्योंकि हमारे मुख्य मुद्दे दो दशकों से अधिक समय से अनसुलझे हैं।’
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