शहर में अक्सर लोग कहीं भी बैठकर Khana खा लेते हैं। उन्हें ये पता ही नहीं होता कि किस जगह बैठकर Khana खाना सही होता है और किस जगह गलत होता है। कुछ लोगों की मज़बूरी होती है। दरअसल आज कल घर इतने महंगे हो गए हैं कि लोग सस्ते के चक्कर में छोटा घर ख़रीद लेते हैं। जब घर में जगह ही नहीं होती तो मज़बूरी में ही लोग बेड पर बैठकर Khana खा लेते हैं।
आधुनिक जीवन शैली में हमनें खाने के तरीके में भी बहुत बदलाव किया है। पहले लोग ज़मीन पर सुखासन में बैठकर Khana खाया करते थे। खाना खाते समय किसी से बात नहीं करते थे। ज्योतिष की दृष्टि से Khana खाने की आदतों का हमारे ग्रहों पर असर पड़ता है।
Khana खाते वक़्त इन बातों का रखें ध्यान
- भोजन करते समय हमारा मुंह पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।
- भोजन कभी भी अपने बेड पर बैठकर ना खाएं। इससे अन्न का अपमान होता है और राहु अप्रसन्न होते हैं।
- भोजन करने के बाद कुछ लोग थाली में ही अपने हाथ धो देते हैं। इससे अन्नपूर्णा का अपमान होता है। चंद्र और शुक्र अप्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे घर से बरकत चली जाती है।
- Khana खाने से पहले हाथ और पैर अवश्य धोएं। इससे हानिकारक बैक्टीरिया भोजन के जरिए हमारे पेट में नहीं पहुंच पाते।
- भोजन जल्दी-जल्दी ना चबाएं।
- भोजन के तुरंत बाद पानी ना पिएं। खाना खाने के 40 मिनट बाद पानी पी सकते हैं।
- भोजन हमेशा बैठकर ही करें।
- भोजन करने से पहले या भोजन करने के बाद लघु शंका करनी चाहिए।
- थाली में जूठन छोड़ना अन्न का अपमान होता है। इससे मां अन्नपूर्णा का शाप लगता है।
- Khana खाते समय टीवी देखना, किताब पढ़ना ठीक नहीं होता। इससे हमारी श्वास नली में भोजन के कण फंसने का डर रहता है।
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