फिल्म ‘Adipurush’ रिलीज़ के बाद से ही चर्चा में बनी हुई है। फिल्म को लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। फिर वो आपत्तिजनक डायलॉग हों, ख़राब वीएफएक्स हों, सीन हों या फिर गलत तरीके से चरित्र चित्रण। बड़े पैमाने पर दर्शक फिल्म के कंटेट से खुश नहीं हैं और नाराज़गी जता रहे हैं। आलम ये है कि फिल्म को बैन करने की मांग की जाने लगी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘रामायण’ पर आधारित फिल्म ‘Adipurush’ के प्रसारण पर रोक से संबंधित ‘हिंदू सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से बुधवार( 21 जून) को इंकार कर दिया।
फिल्म को भारत में बैन करने की मांग उठ रही है। इसी बीच हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने याचिका दायर कर कोर्ट से फिल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और सेंसर बोर्ड द्वारा दिए सर्टिफिकेट को रद्द करने की मांग की। उन्होंने अदालत से इस मामले पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया जिसे स्वीकार करने से कोर्ट ने मना कर दिया है। मामले को 30 जून के लिए सूचीबद्ध किया गया है। जस्टिस तारा वितास्ता गंजू और न्यायमूर्ति अमित महाजन की अवकाशकालीन पीठ ने मामले को या तो ‘आज या कल या उसके अगले दिन’ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता के अनुरोध को खारिज कर दिया।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ने कहा कि जनहित याचिका 30 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है लेकिन तब तक याचिका का उद्देश्य विफल हो जाएगा। अदालत ने पाया कि फिल्म ‘Adipurush’ पहले ही रिलीज़ हो चुकी है और रिलीज़ की तारीख भी पहले से ही पता थी और तत्काल सुनवाई के लिए कोई मामला नहीं बनता है। अदालत ने कहा, ‘जब फिल्म पहले ही रिलीज़ हो चुकी है तो आप क्या रोक लगाना चाह रहे हैं? अब तक मुझे नहीं लगता कि मामला अत्यावश्यक है। कृपया सुनवाई वाले दिन (30 जून) आएं।’
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कई ‘विवादास्पद हिस्से’ हैं जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि नेपाल ने फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने दावा किया कि निर्देशक ओम राउत ने पहले आश्वासन दिया था कि विवादास्पद हिस्सों को हटा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया और फिल्म को रिलीज़ कर दिया।
याचिका के अनुसार, ‘Adipurush’ ने धार्मिक चरित्रों और संख्याओं का गलत और अनुचित तरीके से चित्रण करके हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, जो वाल्मीकि और तुलसीदास जैसे लेखकों द्वारा लिखित रामायण में वर्णन के विपरीत है। याचिका में अधिकारियों से फिल्म के प्रमाणन को रद्द करने और इसे तुरंत प्रतिबंधित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। बता दें कि काठमांडू, पोखरा मेट्रोपॉलिटन सिटी और अब मुंबई सहित कई जगहों पर फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली में भी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
यह भी पढ़ें – Yoga Day 2023: देश मना रहा है 9वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, जानें PM Modi के संबोधन की बड़ी बातें
ABSTARNEWS के ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं. हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो कर सकते है