कुछ महीनों पहले Namibia से Kuno National Park आए चीतों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे कि पता नहीं वो अपना शिकार कैसे करेंगे…? भारत के मौसम में किस तरह एडजस्ट करेंगे…? पिछले दिनों दो चीतों को छोटे बाड़े से निकाल कर बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। बड़े बाड़े में जाने के बाद इन चीतों ने भारत में अपना पहला शिकार किया है।
ख़ुशी की बात ये है कि बड़े बाड़े में जाने के बाद इन चीतों ने भारत में अपना पहला शिकार किया है। चीतों ने छोटे बाड़े से छूटने के 24 घंटे के भीतर अपना पहला शिकार किया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन चीतों ने रविवार(6 नवंबर) की रात या सोमवार की सुबह में एक चीतल का शिकार किया है। चीतल को स्थानीय लोग चित्तीदार हिरण भी कहते हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि Namibia से आने के बाद इन चीतों ने भारत में अपना पहला शिकार किया है। जिन दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया है उनका नाम फ़्रेडी और एल्टन है। इन्हें 5 नवंबर को बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। अधिकारियों ने बताया कि निगरानी दल को इस शिकार की जानकारी सोमवार सुबह में मिली। चीतल का शिकार करने के बाद चीतों ने उसे दो घंटे के भीतर खा कर खत्म कर दिया।
भारत ने 1970 के दशक से ही इस प्रजाति को फिर से देश में लाने के प्रयास शुरू कर दिए थे और इसी दिशा में उसने Namibia के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। Namibia ने भारत को आठ चीते दान में दिए हैं। चीतों को लेकर विशेषज्ञों की कई चिंताएं थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों के लिए चीतल हिरण का शिकार करना चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि ये अफ्रीका में नहीं पाए जाते हैं। शुरुआत में सभी जानकारों को लग रहा था कि चीतों को शिकार करने में समस्या आएगी लेकिन वन विभाग ने बताया कि चीतों ने चीतल का शिकार किया है।
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