Chand पर दाग है ये तो आपने सुना ही होगा लेकिन अब Chand पर कचरा भी गिरने वाला है। एक फूटे हुए रॉकेट के अवशेष 9,300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से Chand की सतह से टकराने वाले हैं। तीन टन वज़न वाले इस कचरे से इतना बड़ा गड्ढा हो सकता है जिसमे ट्रैक्टर जितने बड़े कई वाहन समा जाएंगे।
Chand की सतह के जिस तरफ यह कचरा टकराएगा वो सुदूर ऐसी जगह है जहां तक धरती की दूरबीनों की नजर नहीं पहुंचती है। सैटेलाइट चित्रों की मदद से टक्कर की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने भी लग सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रॉकेट चीन का है जिसने इसे करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में छोड़ा था। यह तबसे अंतरिक्ष में इधर उधर भटक रहा है। लेकिन चीन के अधिकारियों ने इस रॉकेट के चीनी होने पर संदेह व्यक्त किया है। बहरहाल, रॉकेट किसी का भी हो वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी टक्कर से Chand की सतह पर 10 से 20 मीटर गहरा गड्ढा हो जाएगा और Chand की धूल उड़ कर सतह पर सैकड़ों किलोमीटर तक फैल जाएगी।
जानें, इस बारें में कैसे चला पता
पृथ्वी के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना कम ही होती है और उन्हें अक्सर जल्दी ही भुला भी दिया जाता है। सिर्फ शौकिया तौर पर खगोलीय जासूस की भूमिका निभा रहे मुट्ठीभर अंतरिक्ष पर्यवेक्षक उन पर नजर रखते हैं। इसी तरह के एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट के Chand से टकराने के मार्ग का पता लगाया था। ग्रे एक गणितज्ञ और एक भौतिकशास्त्री हैं।
ग्रे का कहना है उन्हें पूरा विश्वास है कि यह चीन का ही रॉकेट है। Chand पर पहले से ही कई गड्ढे हैं। Chand का वायुमंडल लगभग न के बराबर है जिसकी वजह से वो लगातार गिरने वाले उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों से अपना बचाव नहीं कर पाता है। बीच बीच में अंतरिक्ष यान भी उससे टकराते रहते हैं। इनमें ऐसे यान भी हैं जिन्हें वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए जानबूझकर टकराया जाता है। Chand पर कोई मौसम भी नहीं है जिसकी वजह से उसकी सतह का घिसाव भी नहीं होता और ये गड्ढे हमेशा के लिए रह जाते हैं।
शुरू में ग्रे ने स्पेसएक्स को इसका जिम्मेदार बताया था जिसके बाद कंपनी की आलोचना भी हुई थी। लेकिन ग्रे ने एक महीने बाद बताया कि शुरू में वो गलत थे और अब उन्हें पता चला है कि वो “रहस्मयी” चीज स्पेसएक्स का रॉकेट नहीं है। उन्होंने बताया कि संभव है कि वो एक चीनी रॉकेट का तीसरा चरण है जिसने 2014 में Chand पर एक टेस्ट सैंपल कैप्सूल भेजा था। कैप्सूल फिर वापस आ गया था लेकिन रॉकेट उसके बाद भटकता ही रहा।
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