कई हादसों के बाद सभी जगह तेजाब (Acid) के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है। बावजूद इसके कई जगह Acid का इस्तेमाल अब भी किया जाता है। वहीं Delhi Municipal Corporation ने सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने छह अप्रैल को दरियागंज के जीबी पंत अस्पताल के गेट नंबर आठ के सामने दिल्ली नगर निगम के एक महिला शौचालय का निरीक्षण किया था, वहां Acid से भरा 50 लीटर का डिब्बा मिला था। इस बाबत आयोग ने समन जारी किया था, जिसका पालन करते हुए निगम के शौचालयों में तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगी है।
निगम के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में 16 मई को आयोग के सामने पेश हुए और उन्होंने बताया कि वर्तमान में 308 सामुदायिक शौचालयों, सार्वजनिक शौचालयों को निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किया गया है, जिनका एमसीडी के साथ समान अनुबंध है, जिसमें कहा गया है कि साप्ताहिक रूप से शौचालयों की सफाई के लिए Acid का प्रयोग नहीं करने पर दिल्ली नगर निगम द्वारा एजेंसी पर प्रति दिन 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। पूछताछ करने पर पता चला कि अनुबंध दस्तावेज को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें साफ तौर पर शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया था।
शुक्रवार (19 मई) को जारी एमसीडी की एक अधिसूचना में कहा गया है कि सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल करने वाली एजेंसियों को सुनिश्चित करना होगा कि Acid के स्थान पर किसी अन्य सफाई सामग्री का उपयोग शौचालयों की साफ सफाई में किया जाए। नागरिक निकाय ने अपने बयान में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के ‘लक्ष्मी बनाम भारत संघ’ के फैसले का हवाला भी दिया है। जारी बयान में ‘लक्ष्मी बनाम भारत संघ’ 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस ऐतिहासिक मामले में देशभर में एसिड की बिक्री पर रोक लगाई गई थी।
आयोग के निर्देश पर निगम के अधिकारियों ने 18 मई को एक कार्यालय आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अनुबंध के उक्त प्रावधान (जो तेजाब के उपयोग को प्रोत्साहित करता है) को निरस्त कर दिया गया है और यदि कोई व्यक्ति शौचालयों में तेजाब का उपयोग व भंडारण करता पाया जाता है, तो एजेंसी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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