Qutab Minar परिसर में स्थित मस्जिद में Namaz पढ़ने पर रोक

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बरसों से होने वाले काम पर अगर कोई रोक लगा देता है तो विरोध या विवाद होना आम बात है। Delhi स्थिति ऐतिहासिक यूनेस्को विश्व धरोहर Qutab Minar परिसर में स्थित मुगल मस्जिद में ASI ने Namaz पढ़ने पर रोक लगा दी। मस्जिद के इमाम मौलाना शेर मोहम्मद ने दावा करते हुए कहा कि ASI ने Namaz पढ़ने पर रोक लगा दी है।

मौलाना शेर मोहम्मद ने बताया कि वह पिछले 47 वर्षों से मस्जिद के इमाम हैं। हालांकि अब इसको लेकर सरकार से स्पष्टीकरण आया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ASI द्वारा संरक्षित स्थलों के परिसर में धार्मिक प्रथाओं की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब वे कार्यभार संभाले जाने के दौरान उपासना स्थल के तौर पर काम कर रहे थे। संस्कृति मंत्री के एक अधिकारी ने सोमवार(23 मई) को स्पष्ट किया कि Archaeological Survey of India (ASI) की नीतियां निर्जीव स्थानों पर पूजा की इजाज़त नहीं देती हैं। अधिकारी ने कहा, “ASI की नीतियां निर्जीव स्थानों पर पूजा पर रोक लगाती हैं। ऐसा कोई आदेश हाल फिलहाल में जारी नहीं किया गया है और यह नियम पहले से मौजूद है। इससे पहले भी ASI ने लेटर लिखा था कि नीति के अनुसार वहां Namaz बंद कर दी जाए। आखिरी ऐसा निर्देश कुछ महीने पहले भेजा गया था।”

Delhi की एक अदालत ने ASI को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश निखिल चोपड़ा द्वारा पारित “अगले आदेश तक Qutab Minar  परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने” का आदेश दिया था।  बता दें कि इससे पहले उन खबरों को लेकर विवाद छिड़ गया था कि मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को Qutab Minar परिसर में खुदाई करने का आदेश दिया है। हालांकि संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने इन खबरों का खंडन किया था। रेड्डी ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। विवाद के बाद संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और ASI के कई अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा साइट का दौरा किया जिसके बाद और भी अफवाहें आने लगीं। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि यात्रा पहले से नियमित थी और इसका ‘परिसर की खुदाई’ वाले विवाद से कोई लेना देना नहीं है।

एक अधिकारी ने कहा कि सरकार मीनार के आसपास के जैन और हिंदू मंदिरों में प्रतिमाओं की एक सूची बनाने पर विचार कर रही है। संस्कृति मंत्रालय दिल्ली के Qutab Minar  परिसर में मिली हिंदू और जैन मूर्तियों को प्रदर्शित करने पर विचार कर रहा है और स्थल की खुदाई या किसी भी धार्मिक प्रथा को रोकने की कोई योजना नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

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