कश्मीर मामले पर गुरुवार को मलाला युसूफजई ने मौन तोड़ दिया। मलाला ने कहा है कि कश्मीर मसले का शांतिपूर्ण हल निकाला जाना चाहिए। साथ ही सब लोग शांति के साथ वहां रह सकते हैं।
सदियों से चली आ रही अनुच्छेद 370 हटाने की मांग को आखिरकार मोदी सरकार ने मंजूरी दे ही दी। इस ऐतिहासिक फैसले को मोदी सरकार का सबसे बड़ा काम बताया जा रहा है।इसकी खुशी भारत के लगभग हर कोने में देखी जा सकती है। हालांकि कांग्रेस नेता और ओवैसी जैसे लोग तो इसका विरोध कर ही रहे हैं साथ ही अलगाववादी नेता भी इससे बहुत खफ़ा दिखाई दे रहे हैं। ये वही लोग हैं जो धारा 370 के विरोध मे लगातार भारतीय जनता पार्टी के बारे में उल्टी-सीधी बातें कर रहे हैं।
महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और ओवैसी जैसे कई नेताओं ने तो इसे असंवैधानिक तक बता दिया है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान इसका पुरजोर विरोध कर रहा है। यहां तक कि इस अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर अमेरिका से भारत की शिकायत तक कर रहा है पाकिस्तान। पाकिस्तान ने अड़ियल रुख अपना लिया है। राजनीतिक संबंध खत्म करने के साथ ही इमरान खान की सरकार ने व्यापार भी खत्म कर दिया है। जिसके बाद से कश्मीर में राजनीतिक हालात बिगड़ गए हैं। अब नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मलाला युसूफजई ने भी कश्मीर पर चुप्पी तोड़ दी है।
अनुच्छेद 370 हटने पर मायावती ने ट्विट कर कही ये बात…
कश्मीर मामले पर गुरुवार को मलाला युसूफजई ने मौन तोड़ दिया। मलाला ने कहा है कि कश्मीर के मसले का शांतिपूर्ण हल निकाला जाना चाहिए। मलाला बोलीं कि सब लोग शांति के साथ वहां रह सकते हैं, और किसी को भी एक-दूसरे का नुकसान पहुंचाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि मलाला ने इस तनाव के बीच बच्चों और महिलाओं के लिए चिंता जताई है, क्योंकि वो लोग आसानी से निशाना बन सकते हैं।
The people of Kashmir have lived in conflict since I was a child, since my mother and father were children, since my grandparents were young. pic.twitter.com/Qdq0j2hyN9
— Malala (@Malala) August 8, 2019
मलाला का कहना है कि कश्मीर के लोग लगातार कई दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। मलाला ने ट्विटर पर कहा कि जब वो छोटी बच्ची थी, तबसे लेकर उसके दादा-दादी भी जब युवा थे, तब से ही वो लोग कश्मीर में संघर्ष कर रहे हैं। मलाला का कहना है कि वो कश्मीर के प्रति चिंता करती है, क्योंकि वो उसका घर है। मलाला ने कहा कि इस बात की कोई आवश्यकता नहीं है कि हम पीड़ा सहें और एक दूसरे को नुकसान पहुंचाएं।
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